सोमवार, 8 सितंबर 2008

धोनी का विज्ञापन देखा है ?बालों के क्रीम का ,घड़ी का ,कपडों का ,वगैरह -२ .वोह एक अच्छे खिलाड़ी हैं परन्तु विज्ञापनों में उनकी छवि एक अनपढ़ आदमी की बनती है .वे कहते हैं इतनी पढ़ाई में एक वर्ल्ड कप तो ले ही लिया और फिर आगे फरमाते हैं पढ़ाई कुछ भी हो प्यास होनी चाहिए .अब इससे वे क्या कहना चाहते हैं ?की पढने लिखने की कोई जरुरत नही बस नोट कमाना ही ज़िन्दगी का मकसद है और मैं आपको बताऊँ की झारखण्ड सरकार ने उन्हें अपने सर्व शिक्षा अभियान का ब्रांड एम्बेसडर चुना है ..ये कैसा विरोधाभास है ,एक विज्ञापन में वे फरमाते हैं की रांची में सब लोग एक खास तरह का क्रीम लगा कर मोड हो गए हैं अब उन्हें क्या पता की उस क्रीम की कीमत ५० रुपये है और यहाँ एक दिहाडी मजदूर को डेली ९० रुपये मिलते हैं अब इसमे वो खायेगा की क्रीम लगायेगा .एक विज्ञापन में वे कहते हैं की आदमी की पहचान कपडों से होती है ,अब उन्हें कौन बताये की लंगोटी पहनकर एक आदमी ने सुइट बूट वाले अंग्रेजों को भगा दिया था .धोनी जी विज्ञापनों का स्क्रिप्ट भी पढ़वा लिया कीजिये वरना आपको लोग ऐसे क्रिक्केटर के रूप में लोग याद करेंगे जिसने रन और पैसे खूब बनाये मगर उनका सामान्य ज्ञान जीरो था

1 टिप्पणियाँ:

Blogger Shastri JC Philip ने कहा…

बहुत अच्छा विश्लेषण !!



-- शास्त्री जे सी फिलिप

-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!

8 सितंबर 2008 को 10:41 pm बजे

 

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