शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

योग

आज कल योग फैशन हो गया है .वास्तव में योग[+] आत्मा से परमात्मा के मिलन का रास्ता है .परन्तु कुछ लोगों ने इसे व्यापार की शक्ल देदी .योग जिसे अंग्रेजीदां "योगा "कहते हैं ,आजकल व्यायाम हो गया है .एक साधू ने तो इतना आक्रामक प्रचार किया की १००० करोड़ का मार्केट खड़ा हो गया ,तरह तरह के जूस ,भस्म ,गोली और वाकायदा हर राज्य में अस्पताल खोलकर वजन घटाने का धंधा चालू कर दिया .महर्षि पतंजलि ने कभी ऐसा नही सोचा होगा की उनकी ऐसी दुर्गति करेंगे कुछ लोग .ध्यान गायब हो गया बच गया बस वजन घटाना चर्बी कम करना ,शरीर sundar हो जाए भले ही मन में आतंक भरा हो ,ये कैसा योग है बाबा कामदेव ?

3 टिप्पणियाँ:

Blogger संगीता पुरी ने कहा…

क्या किया जाए ? इस युग में बिना व्यावसायिक ज्ञान के न तो अमृत बिकेगा और न ही बिना ग्लैमर के कामधेनु ।

6 सितंबर 2008 को 3:26 am बजे

 
Blogger شہروز ने कहा…

अंतरजाल के संसार में हार्दिक अभिनन्दन.
आपकी रचनात्मक मेघा सराहनीय है.
हमारी शुभ कामनाएं.
कभी समय मिले तो इस तरफ भी आयें, और हमारी मुर्खता पर हंसें.
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/ http://saajha-sarokaar.blogspot.com/

8 सितंबर 2008 को 5:01 pm बजे

 
Blogger प्रदीप मानोरिया ने कहा…

बहुत सच और सटीक लिखा है आपका हार्दिक स्वागत है समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें जरा इस रचना पर भी ध्यान दें आपके और मेरे विचारों में कितनी समानता है ?
http://manoria.blogspot.com/2008/09/blog-post.html

17 सितंबर 2008 को 3:17 am बजे

 

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